
बाबा साहेब अम्बेडकर की मूर्तियों को अब मिलेगा CM योगी का सुरक्षा कवच!
उत्तर प्रदेश Live: उत्तर प्रदेश सरकार इन दिनों एक बड़े और संवेदनशील कदम को लेकर चर्चा में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि अब राज्य भर में जहाँ भी बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमाएँ लगी हैं, उन्हें एक विशेष सुरक्षा कवच दिया जाएगा। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब हाल के महीनों में कुछ जगहों पर अम्बेडकर प्रतिमाओं के साथ छेड़छाड़, तोड़फोड़ या अपमान की घटनाएँ सामने आई थीं, जिससे दलित समाज और अम्बेडकर समर्थकों के बीच चिंता बढ़ती जा रही थी। सरकार का कहना है कि अम्बेडकर सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि भारत के संविधान निर्माता और सामाजिक न्याय के प्रतीक हैं, इसलिए उनकी मूर्तियों की सुरक्षा से जनता में भरोसा भी बढ़ेगा और समाज में सम्मान का भाव भी मजबूत होगा। योगी सरकार ने निर्देश जारी किए हैं कि हर जिले में प्रतिमाओं की सूची तैयार की जाए, तस्वीरें ली जाएँ और जहाँ भी सुरक्षा कमजोर दिखे, वहाँ तुरंत फोर्स की तैनाती की जाए। साथ ही, कई जगहों पर मूर्तियों के चारों ओर दीवार बनाई जाएगी, सीसीटीवी लगाए जाएँगे, और जहाँ canopy नहीं है, वहाँ छत बनाई जाएगी ताकि मौसम और तोड़फोड़—दोनों से सुरक्षा रहे।
ग्राउंड रिपोर्ट के मुताबिक, इस फैसले के बाद कई शहरों में प्रशासन सक्रिय हो गया है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा, गोरखपुर, बरेली से लेकर छोटे कस्बों तक में अधिकारी मूर्तियों का निरीक्षण कर रहे हैं। कई जगहों पर साफ-सफाई अभियान भी शुरू किया गया है—टूटी हुई लाइटें ठीक की जा रही हैं, गंदगी हटाई जा रही है, और रंग-रोगन भी किया जा रहा है। दलित बहुल इलाकों में इस फैसले को बेहद सकारात्मक माना जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि इससे उन्हें लगता है कि सरकार उनकी भावनाओं और उनके प्रतीकों का सम्मान कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में प्रतिमाओं पर हमले होने पर अक्सर तनाव बढ़ जाता था, धरने-प्रदर्शन होते थे, सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ जाता था। ऐसे में सुरक्षा बढ़ने से ऐसी घटनाएँ कम हो सकती हैं और समाज में शांति बनी रह सकती है।
लेकिन इस फैसले को सिर्फ सुरक्षा से जोड़कर नहीं देखा जा रहा—इसके राजनीतिक मायने भी हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में दलित वोटबैंक हमेशा महत्वपूर्ण रहा है। योगी सरकार पहले ही अम्बेडकर से जुड़े कई काम कर चुकी है—जैसे अम्बेडकर हॉस्टल योजना, छात्रवृत्तियाँ, दलित इलाकों में बिजली-पानी के सुधार, और स्मारकों का जीर्णोद्धार। इसलिए विश्लेषक मानते हैं कि यह फैसला सामाजिक सम्मान के साथ-साथ राजनीतिक संदेश भी देता है। भाजपा लंबे समय से दलित समाज में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ, विपक्ष कह रहा है कि यह सब चुनाव को देखते हुए किया जा रहा है, और सरकार को सिर्फ मूर्तियों की सुरक्षा नहीं बल्कि दलितों की ज़मीनी समस्याएँ भी दूर करनी चाहिए। इस राजनीतिक बहस के बीच आम लोगों की राय अलग-अलग है, पर सुरक्षा को लेकर ज़्यादातर लोग इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं।
दिलचस्प बात यह है कि गाँवों में लगी छोटी-छोटी अम्बेडकर प्रतिमाएँ, जो अक्सर बिना किसी सुरक्षा या छत के खुले में खड़ी रहती हैं, वे भी अब इस योजना के तहत आएँगी। ग्रामीण जनता कह रही है कि यह पहली बार है जब सरकार ने इन छोटी प्रतिमाओं की सुरक्षा पर ध्यान दिया है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले महीनों में पूरे प्रदेश की प्रतिमाओं का डिजिटल सर्वे बनेगा और एक-एक प्रतिमा की लोकेशन, फोटो और सुरक्षा रिपोर्ट एक केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड होगी। इससे न सिर्फ निगरानी आसान होगी, बल्कि किसी नुकसान की स्थिति में पुलिस तुरंत कार्रवाई कर सकेगी। यह तकनीकी कदम उत्तर प्रदेश की law and order सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, योजना में दो तरह की सुरक्षा होगी—पहली, भौतिक सुरक्षा जैसे गार्ड, बैरिकेडिंग, boundary wall, छत, सीसीटीवी; और दूसरी, प्रशासनिक सुरक्षा जैसे पुलिस पेट्रोलिंग, तुरंत एफआईआर और त्वरित दंडात्मक कार्रवाई। इससे किसी भी शरारती तत्व को यह संदेश जाएगा कि अम्बेडकर प्रतिमाओं को नुकसान पहुँचाना अब आसान नहीं होगा। दलित सामाजिक संगठनों ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि कई सालों से उनकी यह मांग थी कि मूर्तियों को सम्मानजनक सुरक्षा मिले, ताकि किसी घटना से समाज में तनाव न फैले।
हालाँकि कुछ चिंताएँ भी सामने आई हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षा सिर्फ मूर्तियों तक नहीं रहनी चाहिए; सरकार को उन इलाकों में सामाजिक सद्भाव और जागरूकता अभियान भी चलाने चाहिए जहाँ अक्सर विवाद होते हैं। कई जगहों पर यह भी चिंता है कि निर्माण कार्य समय पर नहीं होगा या कागज़ों में ही पूरा दिखा दिया जाएगा। सरकार ने जवाब दिया है कि काम की ऑनलाइन मॉनिटरिंग होगी और धीमे या लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री ने खुद कहा है कि “अम्बेडकर का सम्मान हमारी जिम्मेदारी है, और इसमें लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”
कुल मिलाकर, बाबा साहेब अम्बेडकर की मूर्तियों को सुरक्षा देने का यह फैसला केवल प्रशासनिक कदम नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक संदेश भी है। यह बताएगा कि राज्य उन प्रतीकों का सम्मान करता है जो सामाजिक समानता, शिक्षा, संविधान और न्याय के प्रतीक हैं। यह फैसला आगे चलकर तनाव कम करेगा या समाज में नए विवादों को जन्म देगा—यह आने वाले महीनों में पता चलेगा। लेकिन अभी के लिए यह कदम उत्तर प्रदेश में भरोसा, सुरक्षा और सम्मान की भावना को मजबूत करता दिखाई दे रहा है।