
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में उद्योग-उन्मुख शिक्षा पर केंद्रित बैठक आयोजित, छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर जोर
बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में उद्योग-उन्मुख शिक्षा पर केंद्रित बैठक आयोजित, छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर जोर
लखनऊ: बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के सभी विभागों के प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट समन्वयकों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कार्यक्रमों को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप विकसित करना तथा विद्यार्थियों की रोजगार क्षमता को सशक्त बनाना था।बैठक के दौरान कुलपति प्रो. मित्तल ने कहा कि विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम ऐसा हो जो वर्तमान औद्योगिक मांगों के अनुरूप हो ताकि विद्यार्थी ‘इंडस्ट्री-रेडी’ बनें और उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें अतिरिक्त प्रशिक्षण की आवश्यकता न पड़े। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को ‘फिनिशिंग स्कूल’ की तरह कार्य करना चाहिए, जहाँ छात्रों को पेशेवर वातावरण में सक्रिय भागीदारी के लिए समग्र रूप से तैयार किया जाए।कुलपति ने आगे कहा कि उद्योग से मजबूत साझेदारी स्थापित करने के लिए इंडस्ट्री लिंक पाठ्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए तथा विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 की सिफारिशों के अनुरूप इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट आधारित प्रशिक्षण उपलब्ध कराना चाहिए। उन्होंने छात्रों की सक्रिय भागीदारी, संलग्नता और ग्रूमिंग को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया, जिससे वे पूर्ण विकसित, आत्मनिर्भर और दक्ष पेशेवर बन सकें।बैठक में यह भी तय किया गया कि प्रत्येक विभाग द्वारा संभावित भर्ती कर्ताओं की सूची तैयार की जाए और उसे पेशेवर पुस्तिकाओं के माध्यम से साझा किया जाए। साथ ही उद्योग की बदलती प्रवृत्तियों के अनुरूप पाठ्यक्रमों में निरंतर संशोधन और अद्यतन किए जाने पर बल दिया गया, ताकि छात्र भविष्य की जरूरतों के अनुरूप स्वयं को ढाल सकें।बैठक में प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट समन्वयकों ने सक्रिय भागीदारी की और इसे विश्वविद्यालय की प्लेसमेंट प्रणाली एवं शैक्षणिक प्रासंगिकता को नई दिशा देने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया। कुलपति प्रो. मित्तल ने विश्वास जताया कि इस पहल से विश्वविद्यालय के विद्यार्थी प्रतिस्पर्धात्मक वैश्विक परिदृश्य में बेहतर अवसर प्राप्त करेंगे और समाज व उद्योग दोनों की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम होंगे।
