
“जिंदाबाद-जिंदाबाद मोहब्बत जिंदाबाद… ओवैसी
Bihar News:पुर्णिया में “I Love Muhammad” विवाद को लेकर सियासत और भावनाओं का पारा दोनों चढ़ चुका है। इसी मुद्दे पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

ओवैसी ने कहा कि मोहब्बत का पैग़ाम देना अगर गुनाह है, तो वह यह गुनाह हर बार करेंगे। पुर्णिया में जमा हुई भीड़ के बीच गूंजता रहा, “जिंदाबाद-जिंदाबाद, मोहब्बत जिंदाबाद”, और ओवैसी ने साफ लफ्ज़ों में कहा कि “I Love Muhammad” कहना कोई जुर्म नहीं, बल्कि ईमान का हिस्सा है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इस मुल्क में अब मोहब्बत के इज़हार पर भी पाबंदी लगाई जाएगी?

हाल ही में एक छात्र द्वारा ‘I Love Muhammad’ लिखी गई टी-शर्ट पहनने पर मचे बवाल को लेकर ओवैसी ने कहा कि यह सिर्फ एक बच्चे की भावनाओं पर हमला नहीं, बल्कि पूरे मुसलमान समाज के आत्म-सम्मान पर चोट है। उन्होंने सरकार और प्रशासन पर निशाना साधते हुए पूछा कि क्या अगर कोई “I Love Krishna” कहे तो भी यही कार्रवाई होगी? ओवैसी ने यह आरोप लगाया कि प्रशासन दोहरे मापदंड अपना रहा है और संविधान की भावना के खिलाफ जाकर मुसलमानों की धार्मिक पहचान को दबाने की कोशिश कर रहा है।
इस दौरान ओवैसी ने भीड़ से अपील की कि वे अपनी बात संविधान और कानून के दायरे में रहकर रखें लेकिन डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मोहब्बत का नाम लेना अगर कट्टरता है, तो फिर पूरी दुनिया को बताना होगा कि यह मोहब्बत नबी से है, और यह कभी नहीं छुपेगी। पुर्णिया की धरती पर खड़े होकर ओवैसी ने यह भी कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां हर किसी को अपने मज़हब और अपने प्यार का इज़हार करने का हक है।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने भाषण में यह भी जोड़ा कि यह मुद्दा केवल एक स्लोगन का नहीं है, यह मुद्दा उस सोच का है जो मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता को लगातार सीमित करना चाहती है। उन्होंने बीजेपी और उससे जुड़े संगठनों पर आरोप लगाया कि वे बार-बार ऐसे मुद्दों को उछालकर मुस्लिम समुदाय को डराने और बांटने की कोशिश कर रहे हैं। ओवैसी ने दो टूक कहा कि वह हर मंच से यह बात कहेंगे कि “I Love Muhammad” कहना उनका संवैधानिक अधिकार है और वह इसे न अदालत से डरकर छोड़ेंगे, न सत्ता से दबकर।
पुर्णिया में हुए इस जनसभा के दौरान बड़ी संख्या में लोग जुटे और उन्होंने ओवैसी की बातों का जोरदार समर्थन किया। “मोहब्बत जिंदाबाद” के नारे लगाते हुए भीड़ ने यह संदेश देने की कोशिश की कि उनके लिए यह सिर्फ धार्मिक जुड़ाव का मामला नहीं, बल्कि अपनी पहचान और अधिकारों की लड़ाई है। वहीं, इस बयानबाजी के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई दलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, तो कुछ ने बयानबाजी शुरू कर दी है।
मौजूदा राजनीतिक माहौल में इस तरह के विवाद पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है क्योंकि इसमें सीधे तौर पर बच्चों की भावनाएं और धार्मिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सवाल उठे हैं। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी हुई है—कुछ लोग इसे धार्मिक कट्टरता से जोड़ रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा बता रहे हैं।
अंत में, ओवैसी ने अपने भाषण में यह भी कहा कि “हमें नफरतों के खिलाफ मोहब्बत को खड़ा करना होगा। अगर आज हम खामोश रहे, तो कल हमारी आने वाली नस्लों से उनका हक छिन लिया जाएगा। इसलिए आवाज़ उठाइए, संविधान के दायरे में रहकर, लेकिन मजबूती से उठाइए। क्योंकि मोहब्बत नफरत से बड़ी होती है, और नबी की मोहब्बत हमारे ईमान का हिस्सा है।”
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर ये साफ हो गया है कि धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्ति की आज़ादी के मुद्दे पर देश में बहस अभी खत्म नहीं हुई है। आने वाले दिनों में इस पर और भी प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं। फिलहाल पुर्णिया की सभा से जो संदेश निकला है, वो यही है कि मोहब्बत को खामोश नहीं किया जा सकता।