
बीबीएयू में ‘यौन उत्पीड़न की रोकथाम’ पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, कुलपति बोले — सामूहिक प्रयासों से ही होगा वास्तविक परिवर्तन
बीबीएयू में ‘यौन उत्पीड़न की रोकथाम’ पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित, कुलपति बोले — सामूहिक प्रयासों से ही होगा वास्तविक परिवर्तन
लखनऊ: बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में सोमवार को आंतरिक शिकायत समिति (ICC) की ओर से ‘यौन उत्पीड़न की रोकथाम (POSH – Prevention of Sexual Harassment)’ विषय पर एक व्यापक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ. आशिमा मंगला ऑनलाइन माध्यम से जुड़ीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की सदस्य विजया भारती सयानी एवं आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्ष प्रो. आभा मिश्रा उपस्थित रहीं।कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। विश्वविद्यालय कुलगीत के बाद अतिथियों का स्वागत पौधा, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया। इस अवसर पर प्रो. आभा मिश्रा ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य बताते हुए कहा कि ICC का लक्ष्य विश्वविद्यालय परिसर में ऐसा वातावरण तैयार करना है जो सभी के लिए सुरक्षित, सम्मानजनक और संवेदनशील हो।कुलपति प्रो. राज कुमार मित्तल ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज समाज में लोग अपने साथ हुए अन्याय के प्रति जागरूक हो रहे हैं और निडर होकर शिकायत दर्ज करा रहे हैं, जो सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने ‘विशाखा गाइडलाइन्स’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इन दिशा-निर्देशों ने महिलाओं को अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने का सशक्त माध्यम दिया। प्रो. मित्तल ने कहा कि ICC की भूमिका केवल शिकायतों के निस्तारण तक सीमित नहीं, बल्कि यह विश्वविद्यालय परिसर में लैंगिक समानता, संवाद और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने का माध्यम है। उन्होंने शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच निरंतर संवाद को आवश्यक बताते हुए कहा कि इससे आपसी विश्वास और सम्मान की संस्कृति मजबूत होगी।राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की सदस्य विजया भारती सयानी ने कहा कि ICC का दायित्व केवल शिकायतों का समाधान करना नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय को भयमुक्त, सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण प्रदान करना भी है। उन्होंने बताया कि 1997 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी ‘विशाखा गाइडलाइन्स’ ने कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम के लिए एक ऐतिहासिक दिशा दी थी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में गठित ICC न केवल शिकायतों की जांच करती हैं, बल्कि संवाद और जागरूकता की संस्कृति को भी प्रोत्साहित करती हैं। सयानी ने अपने वक्तव्य में ‘यूजीसी विनियम 2015’ और ‘शून्य सहिष्णुता नीति (Zero Tolerance Policy)’ पर विस्तृत जानकारी दी।ऑनलाइन माध्यम से जुड़ीं यूजीसी की ज्वाइंट सेक्रेटरी डॉ. आशिमा मंगला ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में ICC की स्थापना महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस कदम है। उन्होंने बताया कि किसी भी पीड़िता को तीन माह के भीतर शिकायत दर्ज कराने का अधिकार है और आवश्यक होने पर उसका परिवार भी यह शिकायत प्रस्तुत कर सकता है। UGC ने लैंगिक संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाओं, जागरूकता अभियानों, हेल्पलाइन नंबरों और शिकायत पेटियों जैसी व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया है। उन्होंने बताया कि आयोग ने ‘सक्षम पोर्टल (SAKSHAM Portal)’ की शुरुआत की है, जिसके माध्यम से महिलाएँ अपनी शिकायतें ऑनलाइन दर्ज कर सकती हैं, जिससे प्रक्रिया पारदर्शी और सुलभ हो गई है।कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो. मित्तल एवं अतिथियों द्वारा ICC द्वारा तैयार ‘Pathway to Safe Campus’ शीर्षक हैंडबुक का विमोचन किया गया। साथ ही, ICC द्वारा आयोजित स्लोगन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने POSH अधिनियम और शिकायत प्रक्रिया से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका उत्तर अतिथियों ने विस्तारपूर्वक और संतोषजनक ढंग से दिया।कार्यक्रम में दो व्याख्यान सत्र भी आयोजित किए गए। प्रथम सत्र में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता डॉ. वी.के. सिंह ने ‘यूजीसी विनियम 2013 बनाम यूजीसी विनियम 2015’ विषय पर अपने विचार रखे, जबकि द्वितीय सत्र में मनोचिकित्सक डॉ. शाजिया सिद्दीकी ने ‘यौन उत्पीड़न का मनोवैज्ञानिक प्रभाव: साधन, सहायता और संसाधन’ विषय पर वक्तव्य दिया।जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ एक मार्च भी निकाला गया, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर सभी को लैंगिक समानता, सुरक्षा और सम्मानपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करने के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम का समापन डॉ. दीपा राज के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।इस अवसर पर विभिन्न संकायों के डीन, विभागाध्यक्ष, शिक्षकगण, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे, जिन्होंने विश्वविद्यालय परिसर को सुरक्षित और समानतापूर्ण बनाए रखने के संकल्प को दोहराया।
