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अगर भारतीय हो तो साबित करो नागरिकता!

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अगर भारतीय हो तो साबित करो नागरिकता!

आज हम बात करेंगे एक ऐसे फैसले की, जिसने यह स्पष्ट कर दिया कि आधार कार्ड, पैन कार्ड

 

और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ भारतीय नागरिकता का प्रमाण नहीं हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले की सुनवाई के दौरान यह अहम टिप्पणी की।

मामला महाराष्ट्र के ठाणे से जुड़ा है, जहां एक व्यक्ति बाबू अब्दुल रूफ सरदार को अवैध रूप से भारत में रहने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। वह खुद को एक ठेकेदार बताता था और उसके पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और भारतीय पासपोर्ट जैसे दस्तावेज़ थे। हालांकि, पुलिस को शक था कि वह बांग्लादेशी नागरिक है और अवैध रूप से भारत में रह रहा है। जब जांच की गई, तो उसके मोबाइल से ऐसे दस्तावेज़ मिले जिनमें उसकी और उसकी मां की जन्म-स्थली बांग्लादेश दर्शाई गई थी।

इस आधार पर बॉम्बे हाई कोर्ट में जब उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई, तो न्यायमूर्ति अमित बोरकर की बेंच ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि आधार कार्ड, पैन कार्ड या वोटर आईडी जैसे दस्तावेज़ नागरिकता साबित नहीं करते। ये केवल पहचान के लिए होते हैं, न कि राष्ट्रीयता के प्रमाण के तौर पर। कोर्ट ने यह भी कहा कि इन दस्तावेज़ों की वैधता की जांच अभी बाकी है, और ये कैसे प्राप्त किए गए—इसकी जांच जरूरी है।

अदालत ने अपने फैसले में भारत की नागरिकता से जुड़े कानूनों का हवाला दिया, विशेष रूप से “नागरिकता अधिनियम, 1955” का, जो यह तय करता है कि कौन भारतीय नागरिक है और किस प्रक्रिया से नागरिकता प्राप्त की जाती है। इसमें जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण और क्षेत्रीय विलय जैसे आधार शामिल हैं। साथ ही “फॉरेनर्स एक्ट, 1946” की धारा 9 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की नागरिकता पर सवाल उठता है, तो यह जिम्मेदारी उस व्यक्ति पर होती है कि वह अपनी नागरिकता साबित करे।

इस मामले में कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी को जमानत देने से वह फरार हो सकता है, फर्जी दस्तावेज़ तैयार कर सकता है या सबूत नष्ट कर सकता है। इसलिए उसे राहत नहीं दी गई।

इस निर्णय से यह साफ संदेश जाता है कि किसी भी देश की नागरिकता केवल पहचान-पत्रों से नहीं साबित होती, बल्कि इसके लिए एक वैधानिक प्रक्रिया होती है, जिसे कानून के दायरे में पूरा करना होता है। यह फैसला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि आम जनता को भी यह समझने में मदद करता है कि पहचान और नागरिकता दो अलग-अलग चीजें हैं।

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किए हैं। विशेषकर बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा के दौरान चुनाव आयोग ने कहा था कि आधार कार्ड से नागरिकता साबित नहीं होती, जब तक कि उसकी सत्यता की स्वतंत्र जांच न की जाए।

इस पूरी घटना और फैसले से यह स्पष्ट हो जाता है कि नागरिकता का दावा करना केवल कुछ कार्ड्स दिखा देने से संभव नहीं है। इसके लिए कानूनी और वैधानिक दस्तावेज़, जन्म प्रमाण-पत्र, वंश प्रमाणन और अन्य प्रमाणिक स्रोत ज़रूरी होते हैं।

तो यह थी पूरी जानकारी बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले की जो आने वाले समय में कई नागरिकता से जुड़े मामलों की दिशा तय कर सकता है।

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