
विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर सीएमओ कार्यालय में आयोजित हुई संगोष्ठी
कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोंचने से हो सकता है रेबीज, 72 घंटे के अन्दर डॉक्टरी सलाह जरूरी
बहराइच। रेबीज एक वायरल इंफेक्शन है, जो लायसावायरस के कारण होता है | इंसान के शरीर में यह वायरस कुत्ते, बिल्ली और बंदर जैसे जानवरों के काटने या खरोंचने से प्रवेश करता है | खास बात यह है कि यह वायरस पालतू जानवरों के चाटने या काटने पर भी इंसान के शरीर में प्रवेश कर सकता है | दरअसल, व्यक्ति का खून जब जानवरों की लार के संपर्क में आता है, तो उसे रेबीज का खतरा बढ़ जाता है | यह जानकारी बुधवार को सीएमओ कार्यालय के सभागार में ‘विश्व रेबीज दिवस’ के अवसर पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी सतीश कुमार सिंह ने कही।उन्होंने कहा कि रेबीज जैसे जानलेवा रोग के लक्षण व्यक्ति में बहुत देर बाद नजर आते हैं | इस लाइलाज रोग से बचाव का एकमात्र साधन टीका है, अतः जब भी कोई जानवर जैसे- कुत्ता, बिल्ली, बन्दर आदि काटता या खरोचता है, तो सबसे पहले घाव को पंद्रह मिनट तक बहते हुए साफ़ पानी से साबुन लगाकर धोना चाहिए | इसके बाद 72 घंटे के अन्दर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र पर पहुँचकर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए | डॉक्टर के परामर्श अनुसार रेबीज रोधी टीकाकरण की पूरी खुराक जरूर लगवाएं | याद रहे केवल पूर्ण टीकाकरण ही रेबीज से बचाव का उपाय है | दुनियाभर में 28 सितम्बर को ‘वर्ल्ड रेबीज डे’ मनाया जाता है | इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य जानलेवा रेबीज रोग के प्रति समाज को जागरुक करना है |
दो तरह से प्रभावित करता है रेबीज
महामारी विशेषज्ञ डॉ निर्मित श्रीवास्तव ने बताया कि रैबीज व्यक्ति के शरीर को दो तरह से प्रभावित करता है | रैबीज वायरस व्यक्ति के नर्वस सिस्टम में पहुंचकर दिमाग में सूजन पैदा करते हैं, जिसकी वजह से व्यक्ति या तो जल्द कोमा में चला जाता है या उसकी मौत हो जाती है | इसके अलावा यह वायरस, मानव त्वचा या मांसपेशियों के संपर्क में आने के बाद रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क की ओर प्रसारित हो जाता है | इस वायरस के मस्तिष्क में पहुंचने के बाद, इसके लक्षण और संकेत संक्रमित व्यक्ति में दिखाई देने लगते हैं |
रेबीज के लक्षण
एसीएमओ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, चिंता और व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, अनिद्रा, एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रेबीज के लक्षण हैं |
जानवर के काटने पर क्या करें
डीएचईआईओ बृजेश सिंह के अनुसार, डॉक्टर की सलाह लिए बिना कोई इलाज ना करें | घाव पर मिर्च, सरसों का तेल इत्यादि कोई पदार्थ न लगायें और अंधविश्वास से बचें | समय-समय पालतू जानवरों का टीकाकरण करवाएं।संगोष्ठी में डिप्टी सीएमओ डॉ अनुराग वर्मा, डॉ विनय श्रीवास्तव व अमित कुमार पाण्डेय समेत अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे |