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शशि थरूर की लगातार गैरहाजिरी से कांग्रेस में बेचैनी बढ़ी, राहुल गांधी की बैठक से भी रहे दूर

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शशि थरूर की बार-बार गैरहाजिरी से कांग्रेस में बढ़ी बेचैनी, राहुल गांधी की बैठक से भी रहे दूर

कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर शशि थरूर की अनुपस्थिति चर्चा का केंद्र बन गई है। सोमवार को राहुल गांधी की अध्यक्षता में लोकसभा सांसदों की अहम बैठक हुई, लेकिन तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर इसमें शामिल नहीं हुए। यह पहली बार नहीं है जब थरूर किसी महत्वपूर्ण पार्टी कार्यक्रम से दूर रहे हों। लगातार अनुपस्थित रहने की वजह से पार्टी में सवाल और असहजता दोनों बढ़ते जा रहे हैं।

थरूर ने नेतृत्व को पहले ही बैठक में न पहुंच पाने की जानकारी दे दी थी, लेकिन कांग्रेस के चीफ व्हिप ने कहा कि उन्हें इसकी स्पष्ट वजह नहीं बताई गई। इसी अस्पष्टता ने पार्टी के भीतर कयासों की लहर तेज कर दी है। यह भी याद दिलाया जा रहा है कि थरूर कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं, जिससे उनके रुख पर कांग्रेस का एक वर्ग पहले ही सवाल उठाता रहा है।

बैठक में सिर्फ थरूर ही नहीं, बल्कि चंडीगढ़ से सांसद मनीष तिवारी भी शामिल नहीं हो सके। थरूर पिछली रात कोलकाता में प्रभा खैतान फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में थे और संभवतः समय पर दिल्ली लौट नहीं पाए। कुछ दिन पहले उन्होंने सफाई दी थी कि 30 नवंबर को हुई रणनीतिक समूह की बैठक में वे जानबूझकर गायब नहीं थे, बल्कि फ्लाइट में थे।

थरूर की लगातार अनुपस्थिति अब पार्टी के भीतर एक गंभीर विषय बन चुकी है। SIR से जुड़ी बैठक से भी वे दूर रहे थे, जिस पर उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताए थे। लेकिन पार्टी के भीतर यह भावना बढ़ रही है कि उनका संगठनात्मक गतिविधियों से दूरी बनाना अब पैटर्न जैसा दिख रहा है।

हाल ही में थरूर उस समय भी चर्चा में आए थे जब वे अकेले कांग्रेस नेता थे जिन्हें राष्ट्रपति भवन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में आयोजित राज्य भोज में आमंत्रित किया गया। इस घटना ने भी पार्टी के अंदर असहजता बढ़ाई थी।

कुल मिलाकर, थरूर की बढ़ती दूरी कांग्रेस के भीतर नए राजनीतिक संकेत पैदा कर रही है। आने वाले दिनों में नेतृत्व इस पर क्या रुख अपनाता है, इसे लेकर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

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