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ईरान इसराइल में फिर उठ रहा है जंग का धुआं।

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ईरान इसराइल में फिर उठ रहा है जंग का  धुआं।

Iran Israel War: इजराइल-ईरान युद्ध से मध्य पूर्व एक बार फिर भयानक युद्ध की दहलीज पर खड़ा दिख रहा है। इजराइल और ईरान के बीच बीते कई दिनों से मिसाइल और ड्रोन हमले जारी हैं। अमेरिका जहां ईरान को बिना शर्त आत्मसमर्पण की बात कह रहा है वहीं ईरान ने भी साफ कर दिया है कि वो झुकेगा नहीं। ये युद्ध अब क्षेत्रीय संघर्ष का रूप लेता दिख रहा है। इस युद्ध में वैश्विक शक्तियों की सीधी टकराव की आशंका गहराने लगी है।

अमेरिका खुलकर इजराइल के समर्थन में उतर आया है। वहीं दूसरी तरफ रूस ने ईरान का पक्ष लेते हुए अमेरिका को सीधे सैन्य दखल से दूर रहने की चेतावनी दी है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने साफ कहा है कि अगर अमेरिका इस युद्ध में कूदा तो इसके बेहद खतरनाक परिणाम होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध में अमेरिका अगर सीधे तौर पर उतरता है तो ये युद्ध भयानक रूप से ले सकता है और इसमें कई देश शामिल हो सकते हैं।

 इजराइल-ईरान युद्ध में स्थितियां लगातार गंभीर होती जा रही हैं। रूस का बयान आने के बाद से इस युद्ध की स्थितियों में बदलाव देखा जा रहा है। अमेरिका जहां पहले कभी भी ईरान पर हमला करने की बात कह रहा था वहीं व्हाइट हाउस की तरफ जारी एक बयान में गुरुवार को कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अगले दो सप्ताह में इस बात पर निर्णय लेंगे कि इजरायल-ईरान संघर्ष में शामिल होना है या नहीं। रूस ने इजरायल को भी ईरान के बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर हमला करने के खिलाफ चेतावनी दी है।

जेएनयू में सेंटर फॉर रशियन एंड सेंट्रल एशिया स्टडीज के प्रोफेसर डॉक्टर राजन कुमार कहते हैं कि अमेरिका इजराइल को इस युद्ध में कई तरह से मदद कर रहा है। लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं लगता कि अमेरिका इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल होगा। हां अगर ईरान सीधे तौर पर खाड़ी देशो में मौजूद अमेरिकी बेसों पर सीधे हमला करता है या इजराइल पर ईरान के साथ ही हमास और हिजबुल्ला भी हमला करते हैं और इजराइल में ज्यादा नुकसान होता है तो अमेरिका इस युद्ध में सीधे तौर पर शामिल हो सकता है। अमेरिका में सिर्फ 27 फीसदी लोग ही चाहते हैं कि वो इस युद्ध में शामिल हो। क्योंकि अफगानिस्तान में 20 सालों में 2 ट्रिलियन डॉलर के खर्च और बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिकों के मारे जाने के बाद भी अमेरिका के हाथ कुछ नहीं लगा था। लेकिन इजराइल को किसी मुश्किल हालात से बचाना अमेरिका की मजबूरी है। अमेरिका में रह रहे यहूदी काफी प्रभावशाली हैं। वहीं अमेरिका और इजराइल के बीच कई सैन्य समझौते भी हैं।

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