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उत्तर प्रदेश राजकीय पुरातत्व विभाग ने मौद्रिक इतिहास पर व्याख्यान का आयोजन

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उत्तर प्रदेश राजकीय पुरातत्व विभाग ने मौद्रिक इतिहास पर व्याख्यान का आयोजन

लखनऊ: 23 अगस्त, 2025उत्तर प्रदेश राजकीय पुरातत्व विभाग द्वारा आयोजित पुरातत्त्व अभिरुचि पाठ्यक्रम के चौथे दिन दो सत्रों में मौद्रिक विकास पर विशेष व्याख्यान आयोजित किए गए। कार्यक्रम में डॉ. अमित कुमार उपाध्याय, प्रोफेसर, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी ने “भारतीय मौद्रिक विकास की यात्रा: प्रारंभ से गुप्त काल तक” और “गुप्तोत्तर काल से 12वीं शताब्दी ई. तक” विषयों पर पीपीटी के माध्यम से विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किए।डॉ. उपाध्याय ने बताया कि मुद्राएँ केवल लेन-देन का माध्यम नहीं, बल्कि इतिहास, कला, संस्कृति और आर्थिक स्थिति की झलक भी हैं। उन्होंने पंचमार्क सिक्कों से लेकर गुप्तकालीन स्वर्ण मुद्राओं तक की ऐतिहासिक यात्रा का चित्रण किया और सिक्कों पर अंकित प्रतीकों, लिपियों तथा कलात्मक आकृतियों की पुरातात्त्विक महत्ता और निर्माण तकनीकों के विकास पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही सिक्कों के संरक्षण, नकली सिक्कों की समस्या, धातुओं की पहचान, कैटलॉगिंग और डिजिटल इमेजिंग, 3डी स्कैनिंग तथा धातु विश्लेषण जैसी नवीन तकनीकों की जानकारी भी प्रतिभागियों के साथ साझा की।कार्यक्रम में समाज कल्याण निदेशक श्रीमती रेनू द्विवेदी ने डॉ. अमित उपाध्याय का पौधा और स्मृति-चिन्ह देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन प्रकाशन सहायक श्री बलिहारी सेठ ने किया। इस अवसर पर लगभग 200 प्रतिभागियों सहित पुरातत्व निदेशालय के श्री अभयराज सिंह, संतोष कुमार सिंह, अकील खान, आशीष कुमार, विभा, हिमांशु, मयंक और अन्य विभागीय कर्मचारी उपस्थित रहे।कार्यक्रम ने प्रतिभागियों को भारतीय मुद्राओं के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को समझने का अवसर प्रदान किया और डिजिटल तकनीकों के माध्यम से संरक्षण तथा अध्ययन की आधुनिक विधियों से अवगत कराया।

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