
महात्मा गांधी नरेगा से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी ढाँचा दोनों को मिल रहा सशक्त आधार
लखनऊ: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) ग्रामीण परिवारों की आजीविका संवर्धन के साथ-साथ गांवों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका निभा रही है। इस योजना के माध्यम से हर वित्तीय वर्ष उन ग्रामीण परिवारों को गारंटीकृत रोजगार उपलब्ध कराया जाता है, जिनके वयस्क सदस्य अकुशल श्रम करने के इच्छुक होते हैं।महात्मा गांधी नरेगा केवल रोजगार देने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण ढाँचागत विकास की एक मजबूत आधारशिला बन चुकी है। इस योजना के तहत जल संरक्षण संरचनाओं, ग्रामीण सड़कों, नालियों, चकरोडों और अन्य आवश्यक बुनियादी परिसंपत्तियों के निर्माण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीण इलाकों में जीवन स्तर बेहतर हो रहा है।उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कुशल मार्गदर्शन में ग्राम्य विकास विभाग इस योजना के क्रियान्वयन को प्रभावी ढंग से सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने कहा कि “गांवों की गलियां ग्रामीणों की हाईवे जैसी हैं, इसलिए उन्हें दुरुस्त और स्वच्छ रखना आवश्यक है। योजना के अंतर्गत किए गए कार्य धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने चाहिए।” उन्होंने निर्देश दिए कि ग्राम पंचायतों में नाली, चकरोड निर्माण, पटरी मरम्मत, इंटरलॉकिंग, सीसी रोड एवं खड़ंजा निर्माण के कार्यों पर विशेष ध्यान दिया जाए ताकि गांव स्वच्छ और सुंदर बने रहें और ग्रामीणों का जीवनस्तर ऊँचा हो।ग्राम्य विकास विभाग के अनुसार, वर्ष 2017-18 से अब तक ग्रामीण संयोजकता के 5,60,474 कार्य पूरे किए जा चुके हैं। वहीं, चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 42,060 कार्य पूरे किए गए हैं, जिन पर 44,603.03 लाख रुपये की धनराशि व्यय की गई है।आयुक्त ग्राम्य विकास जी.एस. प्रियदर्शी ने बताया कि ग्रामीण संयोजकता विभाग की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। राज्य सरकार की मंशा, भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देशों एवं योजना की गाइडलाइन के अनुरूप, मनरेगा से नाली, चकरोड निर्माण, पटरी मरम्मत, इंटरलॉकिंग, सीसी रोड एवं खड़ंजा निर्माण के कार्य निरंतर कराए जा रहे हैं, जिससे गांवों में आवागमन सुगम हो रहा है और जलभराव जैसी समस्याओं का समाधान भी सुनिश्चित हो रहा है।
