
उत्तर प्रदेश की शहरी हरियाली नीति: हरित शहरों की ओर एक सशक्त कदम
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने शहरी क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा देने और पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से एक व्यापक शहरी हरियाली नीति को लागू किया है। यह नीति न केवल राज्य के 762 नगरीय निकायों को हरित बनाने की दिशा में कार्य कर रही है, बल्कि जलवायु परिवर्तन से निपटने और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक महत्वपूर्ण आधार भी बन रही है।यह नीति शहरी क्षेत्रों में हरियाली, जलवायु सहनशीलता और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न स्तरों पर रणनीतिक पहलों को बढ़ावा देती है। इसके अंतर्गत हर निकाय द्वारा त्रैमासिक और वार्षिक रिपोर्टिंग के माध्यम से उपलब्धियों, चुनौतियों और भविष्य की योजनाओं का आकलन किया जाएगा। इस प्रक्रिया में आंतरिक समिति द्वारा त्रैमासिक मूल्यांकन और तृतीय-पक्ष मूल्यांकनकर्ता द्वारा वार्षिक मूल्यांकन सुनिश्चित किया जाएगा।उल्लेखनीय है कि इन मूल्यांकनों के आधार पर शहरों को “अल्टीमेट ग्रीन सिटी पुरस्कार” प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार शहरी निकायों में हरियाली प्रयासों को गति देने के लिए एक प्रेरणास्रोत का कार्य करेगा।नीति को एनसीएपी, अमृत, एसबीएम-2.0 और स्मार्ट सिटी मिशन जैसी केंद्र एवं राज्य सरकार की अन्य योजनाओं के साथ एकीकृत किया जा रहा है ताकि एक समेकित कार्य प्रणाली विकसित हो सके। साथ ही, मुख्यमंत्री हरित सड़क अवसंरचना विकास योजना, मुख्यमंत्री वैश्विक नगरोदय योजना, राज्य जलवायु कार्य योजना जैसे कार्यक्रमों के मध्य समन्वय स्थापित करते हुए बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।शहरी हरियाली को सतत रूप से प्रोत्साहित करने के लिए एक ग्रीन स्टार रेटिंग प्रणाली विकसित की गई है। इसके माध्यम से ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग (GCM) के तहत शहरों को उनकी हरित पहलों के अनुसार रैंकिंग दी जाएगी और सर्वश्रेष्ठ शहर को “अल्टीमेट ग्रीन सिटी” का दर्जा दिया जाएगा।यह नीति उत्तर प्रदेश को पर्यावरणीय रूप से अधिक संवेदनशील और सतत विकास की राह पर अग्रसर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लागू होने से न केवल शहरी जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने की राज्य की क्षमता भी सशक्त होगी।
