
अमेरिका ट्रम्प प्रशासन का भारतीयों पर कड़ा कदम ; 50 लाख भारतीयों की होगी घर वापसी!
NEWYORK DESK REPORT: अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए दुनियाभर के करीब 55 मिलियन यानी 5.5 करोड़ वीजा धारकों की समीक्षा प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसमें भारत के लगभग 50 लाख लोग शामिल हैं, जो विभिन्न प्रकार के वीजा पर अमेरिका में रह रहे हैं या यात्रा कर रहे हैं। इस नए प्लान के तहत अमेरिका ऐसे सभी वीजा धारकों की दोबारा जांच करेगा, जिन पर ओवरस्टे, अपराध, देश की सुरक्षा को खतरा या चरमपंथ से जुड़े होने जैसे संदेह हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर ऐसे आरोप साबित होते हैं, तो उसका वीजा रद्द किया जा सकता है और यदि वह अमेरिका में मौजूद है, तो उसे देश से बाहर भी निकाला जा सकता है।

इस प्रक्रिया को ‘कंटिन्युअस वेटिंग’ कहा जा रहा है, जिसमें वीजा जारी होने के बाद भी व्यक्ति की निगरानी जारी रहती है। यह निगरानी अब हर वीजा श्रेणी — चाहे वह स्टूडेंट वीजा हो, टूरिस्ट वीजा हो या वर्क वीजा — सभी पर लागू होगी। खास बात यह है कि इसमें सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट्स, राजनीतिक विचार या अमेरिका-विरोधी टिप्पणी तक को आधार बनाया जा सकता है। अधिकारियों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति देश विरोधी, यहूदी विरोधी या हिंसात्मक सोच को बढ़ावा देता पाया गया, तो वह इस निगरानी के दायरे में आ सकता है।
इस नीति के तहत अमेरिका ने फिलहाल कमर्शियल ट्रक ड्राइवर्स के वीजा पर भी रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि एक भारतीय मूल के ड्राइवर द्वारा फ्लोरिडा में हुई दुर्घटना के बाद यह कदम उठाया गया। प्रशासन का कहना है कि इससे संबंधित वीजा और स्क्रीनिंग प्रोसेस की फिर से समीक्षा की जाएगी ताकि किसी भी तरह के सुरक्षा खतरे को रोका जा सके।
इस कदम से अमेरिका में रह रहे भारतीयों के बीच चिंता बढ़ गई है। विशेष रूप से छात्र, पेशेवर और अस्थायी कार्य वीजा पर रह रहे लोग इसे लेकर आशंकित हैं कि कहीं छोटी सी गलती या पुराने ऑनलाइन पोस्ट्स भी उनके वीजा को खतरे में न डाल दें। ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि इस नीति का मकसद अमेरिका को सुरक्षित बनाना है, लेकिन आलोचक इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता और मानवीय अधिकारों के खिलाफ मानते हैं।
अमेरिका में यह समीक्षा पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर नहीं की गई थी। यह ट्रम्प प्रशासन के उस रुख को दर्शाता है जो इमिग्रेशन को लेकर काफी सख्त और कठोर होता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि कितने भारतीयों पर इसका सीधा असर पड़ता है और क्या अमेरिका की अदालतों या प्रशासन से इसके खिलाफ कोई राहत मिलती है या नहीं।