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किरायेदारी विलेखों पर बड़ी राहत: 10 साल तक के पट्टों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री फीस में भारी छूट

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किरायेदारी विलेखों पर बड़ी राहत: 10 साल तक के पट्टों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री फीस में भारी छूट

लखनऊ: प्रदेश की योगी सरकार ने आम नागरिकों को बड़ी राहत देते हुए किरायेदारी और पट्टा विलेखों पर लगने वाले स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रीकरण शुल्क में उल्लेखनीय कमी करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। स्टांप एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि यह कदम प्रदेश में किरायेदारी व्यवस्था को पारदर्शी, व्यवस्थित और नागरिकों के अनुकूल बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल साबित होगा।मंत्री के अनुसार वर्तमान में रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1908 के तहत एक वर्ष से अधिक अवधि वाले किरायेदारी विलेखों की रजिस्ट्री अनिवार्य है, लेकिन व्यवहार में अधिकांश किरायानामे मौखिक होते हैं या रजिस्टर्ड नहीं कराए जाते। इससे विभागीय जांचों में स्टाम्प वाद दर्ज होते हैं और कमी स्टाम्प शुल्क की वसूली करनी पड़ती है। इन जटिलताओं को दूर करने और उत्तर प्रदेश नगरीय परिसर किरायेदारी विनियमन अधिनियम, 2021 को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार ने 10 वर्ष तक की अवधि वाले किरायेदारी विलेखों पर स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्री शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित कर दी है।सरकार के इस निर्णय से किरायेदारों और भवन स्वामियों दोनों पर आर्थिक बोझ में भारी कमी आएगी और किरायानामों को औपचारिक रूप से रजिस्टर्ड कराने की प्रवृत्ति बढ़ेगी। मंत्री जायसवाल ने कहा कि यह राहत विशेष रूप से उन नागरिकों के लिए हितकारी होगी जो मध्यम या सीमित आय वर्ग से आते हैं, क्योंकि औसत वार्षिक किराया 10 लाख रुपये तक की सीमा में आने वाले सभी किरायानामों पर यह छूट लागू होगी। उन्होंने बताया कि एक वर्ष तक के मानक किरायानामा विलेखों को भी सरकार प्रोत्साहित कर रही है ताकि किरायेदारी बाजार अधिक सुव्यवस्थित और सुरक्षित बन सके।सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि टोल पट्टों और खनन पट्टों को इस राहत के दायरे से बाहर रखा गया है, क्योंकि इनमें राजस्व हानि की संभावना अधिक होती है। किरायेदारी विलेखों में तय की गई नई शुल्क सीमाएं नागरिकों को अनावश्यक खर्च, कानूनी विवादों और जांचों से बचाएंगी तथा रजिस्ट्री की प्रक्रिया को सरल बनाएंगी।नई व्यवस्था के तहत निर्धारित की गई शुल्क सीमा के अनुसार, औसत वार्षिक किराया 2 लाख रुपये तक होने पर एक वर्ष के किरायानामे पर 500 रुपये स्टाम्प शुल्क और 500 रुपये रजिस्ट्री शुल्क लिया जाएगा। पाँच वर्ष तक की अवधि पर यह शुल्क 1500-1500 रुपये और 10 वर्ष तक की अवधि पर 2000-2000 रुपये तय किया गया है। इसी प्रकार 2 से 6 लाख रुपये तक के वार्षिक किराये और 6 से 10 लाख रुपये तक के किराये वाली श्रेणियों के लिए भी शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित कर दी गई है, जिससे अब कोई भी नागरिक अत्याधिक स्टाम्प शुल्क या रजिस्ट्री शुल्क की परेशानी से नहीं गुजरेगा।मंत्री जायसवाल ने कहा कि यह निर्णय प्रदेश की किरायेदारी व्यवस्था को सरल, सुरक्षित, न्यायसंगत और आधुनिक बनाने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। इससे रजिस्टर्ड किरायानामों की संख्या बढ़ेगी, किरायेदार और भवन स्वामी दोनों सुरक्षित महसूस करेंगे और कानूनी विवादों में कमी आएगी। सरकार का यह फैसला व्यापक जनहित में दिया गया है और इससे प्रदेश की रियल एस्टेट और किरायेदारी प्रणाली में पारदर्शिता को नया आयाम मिलेगा।

 

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