
लखनऊ में गोमती नदी की सफाई के नाम पर बड़ा घोटाला, आम आदमी पार्टी ने खोली सरकार की पोल
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी की सफाई के नाम पर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का आरोप सामने आया है। आम आदमी पार्टी ने सरकार के तमाम दावों की हकीकत उजागर करते हुए इसे जनता की गाढ़ी कमाई की खुली लूट बताया है। पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी व राज्यसभा सांसद संजय सिंह के निर्देश पर गठित प्रतिनिधिमंडल ने कुड़ियां घाट पर जाकर स्थिति का निरीक्षण किया और दावा किया कि सफाई के नाम पर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही है।पार्टी प्रवक्ता प्रिंस सोनी ने आरोप लगाया कि लखनऊ नगर निगम के आरआर विभाग ने एक निजी कंपनी को गोमती की सफाई का ठेका दिया, और कागजों पर 388 कर्मचारियों को दिखाकर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया, जबकि जमीन पर न नाविक नजर आए, न नावें। उन्होंने कहा कि रोजाना 20 नाव और 50 नाविक तैनात दिखाए गए, लेकिन मौके पर कुछ भी नहीं मिला। “माँ गोमती जलकुंभी से पट चुकी है, और सरकार सिर्फ विज्ञापन व बयानबाज़ी में व्यस्त है,” उन्होंने कहा।जिला अध्यक्ष इरम रिजवी ने कहा कि कुड़ियां घाट पर निरीक्षण के दौरान न कोई नगर निगम अधिकारी मिला और न कोई जिम्मेदार कर्मचारी। फिर भी सफाई के नाम पर भारी रकम फाइलों में खर्च कर दी गई। उन्होंने कहा कि पहले भी जल निगम, सिंचाई विभाग और नगर निगम द्वारा गोमती की सफाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन नदी की हालत जस की तस बनी हुई है।निवर्तमान प्रदेश महासचिव दिनेश पटेल ने कहा, “सरकार एक ओर तो गोमती की सफाई के बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं उसके अपने पार्षद और नेता ही इन दावों की पोल खोल रहे हैं। हर महीने 12 लाख रुपये खर्च किए जाने का दावा है, लेकिन गोमती की स्थिति देखिए—पूरी नदी गंदगी और जलकुंभी से भर चुकी है। यह करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण है और सरकार इस पर आंख मूंदे बैठी है।”आम आदमी पार्टी ने योगी सरकार से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है, ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो सके और जनता का विश्वास बहाल किया जा सके।निरीक्षण करने वाले प्रतिनिधिमंडल में नदीम अशरफ जायसी, सरबजीत सिंह मक्कड़, महेंद्र सिंह और प्रखर श्रीवास्तव प्रमुख रूप से शामिल रहे।
