
लखनऊ पुलिस की बड़ी कार्रवाई: तालकटोरा और मड़ियांव के दो कुख्यात अपराधी गुंडा घोषित कर लखनऊ से जिलाबदर

लखनऊ पुलिस की बड़ी कार्रवाई: तालकटोरा और मड़ियांव के दो कुख्यात अपराधी गुंडा घोषित कर लखनऊ से जिलाबदर
लखनऊ: राजधानी में कानून व्यवस्था बनाए रखने और आपराधिक तत्वों पर नकेल कसने के उद्देश्य से पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध एवं मुख्यालय) के न्यायालय ने थाना तालकटोरा और थाना मड़ियांव क्षेत्र के दो कुख्यात अपराधियों को उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण अधिनियम-1970 के अंतर्गत गुंडा घोषित करते हुए लखनऊ की सीमा से निष्कासित (जिलाबदर) करने का आदेश पारित किया है।यह कार्यवाही न्यायालय में प्रस्तुत वाद संख्या 32(11)/2025 एवं 35(13)/2025 के तहत की गई। सुनवाई के दौरान विपक्षी पक्ष के अधिवक्ताओं द्वारा प्रस्तुत दलीलों का राज्य की ओर से संयुक्त निदेशक अभियोजन अवधेश कुमार सिंह ने पुरजोर विरोध करते हुए न्यायालय के समक्ष उनके आपराधिक इतिहास और समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव का विस्तार से उल्लेख किया। अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया।तालकटोरा क्षेत्र निवासी जयेश बाजपेई उर्फ गोलू, उम्र लगभग 30 वर्ष, पुत्र जागेश बाजपेई, जो ई-4052/54, सेक्टर 11, जाजीपुरम का निवासी है, के विरुद्ध थाना तालकटोरा में वर्ष 2024 में धारा 296/79 बीएनएस के अंतर्गत अभियोग पंजीकृत है। उसे तीन माह के लिए लखनऊ की सीमा से निष्कासित किया गया है।वहीं मड़ियांव क्षेत्र से संबंधित विनय कुमार सिंह उर्फ महेन्द्र सिंह, उम्र 40 वर्ष, पुत्र हर्ष बहादुर सिंह, निवासी 537ख/106, मौर्या टोला, फैजुल्लागंज, पर लूट, चोरी, लापरवाही से मौत, संपत्ति को क्षति पहुंचाने व साजिश रचने जैसे गंभीर अपराधों के सात आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इन मुकदमों में वर्ष 2016 से 2024 तक के केस शामिल हैं, जिनमें थाना बीकेटी, विकासनगर, चौक एवं मड़ियांव शामिल हैं। विनय सिंह को छह माह के लिए लखनऊ से जिलाबदर किया गया है।पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ की इस सख्त कार्यवाही को शहर में कानून व्यवस्था बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि समाज में भय फैलाने वाले और अपराध को प्रोत्साहित करने वाले ऐसे व्यक्तियों पर आगे भी इसी प्रकार की सख्त कार्यवाही की जाती रहेगी। यह कदम न सिर्फ शांति व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होगा बल्कि आम नागरिकों के भीतर कानून के प्रति विश्वास को भी और मजबूत करेगा।