
क्या वाक़ई सूख रहा है “दरिया-ए-फुरात?”
दरिया ए फुरात:इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो बड़ी तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें ये दिखाया जा रहा है कि “दरिया-ए-फुरात सूख रही है। बहुत से लोग इस वीडियो को शेयर करते हुए कह रहे हैं कि यह क़यामत की निशानियों में से एक है,
हमारे नबी ने फ़रमाया था जब तक दरिया ए फुरात का पानी सुख ना जाए दरिया ए फुरात से सोने का पहाड़ जाहिर ना हो जाए तब तक क़यामत नहीं आ सकती है।
और इस बारे में इस्लाम में पहले से बताया गया है। कुछ लोग डर और हैरत में हैं, तो कुछ लोग इसे अल्लाह का एक बड़ा इशारा मान रहे हैं। लेकिन सवाल ये है कि इस वीडियो में कितना सच है? क्या वाक़ई फुरात दरिया सूख रहा है? और क्या यह वही वाक़िया है जिसका ज़िक्र इस्लामी हदीसों में मिलता है? आइए, इस पूरे मसले को तफ़सील से समझते हैं।
इस्लाम में फुरात दरिया का क्या ज़िक्र है?
हज़रत मुहम्मद ﷺ से मंसूब कई हदीसों में फुरात नदी का ज़िक्र आया है। सबसे मशहूर हदीसों में से एक के मुताबिक़, “क़यामत क़रीब आ जाएगी जब फुरात नदी का पानी सूख जाएगा और उसके नीचे से सोने का एक पहाड़ निकलेगा। लोग उस पर झपट पड़ेंगे, और हर सौ में से निन्यानवे लोग मारे जाएंगे। हर शख़्स यही कहेगा कि शायद मैं ही वो हूँ जो बच जाऊँ।”
(हदीस रावी: इमाम मुस्लिम, सही मुस्लिम)
दूसरी हदीस में आया है कि नबी-ए-करीम ﷺ ने फ़रमाया कि “जब तुम फुरात दरिया से सोने का ख़ज़ाना निकलते देखो, तो उसमें हिस्सा मत लेना।”
इन हदीसों से मालूम होता है कि क़यामत के क़रीब एक वक़्त ऐसा आएगा जब फुरात दरिया का पानी सूख जाएगा और वहां से कोई बड़ा ख़ज़ाना या सोने का पहाड़ निकल आएगा, जिस पर इंसान लड़ पड़ेंगे और बड़ी तादाद में हलाकतें होंगी।
क्या फुरात दरिया वाक़ई सूख रहा है?
अब बात करते हैं वायरल वीडियो की, जिसमें कहा गया है कि फुरात दरिया सूख रहा है और इसका पानी ख़त्म हो रहा है। ये बात कुछ हद तक सही भी है। पिछले कुछ सालों से इराक़, सीरिया और तुर्की जैसे इलाक़ों में Euphrates River का जल स्तर लगातार घट रहा है। इसकी वजहें जलवायु परिवर्तन (climate change), बांधों का बनना, और क्षेत्रीय पानी की राजनीति हैं। कई रिपोर्ट्स में बताया गया है कि तुर्की में बने बांधों की वजह से नीचे के इलाक़ों तक पानी की पहुंच कम हो गई है। साथ ही ग्लोबल वॉर्मिंग और सूखे का असर भी इस दरिया पर पड़ा है।
लेकिन जो वायरल वीडियो है, उसमें दिखाई गई तस्वीरें या तो पुरानी हैं या एडिट की गई हैं। कई बार लोग एक छोटी नदी या झील का वीडियो बनाकर उसे “फुरात” बताकर पोस्ट कर देते हैं। अब तक किसी भी आधिकारिक संस्था, न्यूज़ चैनल या वैज्ञानिक संगठन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि “फुरात दरिया पूरी तरह सूख चुका है और सोने का पहाड़ नज़र आ गया है”।
क्या ये वाक़िया क़यामत की निशानी हो सकता है?
इस सवाल का जवाब सीधा नहीं है। हदीसों में जो बात कही गई है, वह एक बहुत ख़ास और बड़ा वाक़िया होगा — न सिर्फ़ दरिया सूखेगा, बल्कि वहां से सोने का पहाड़ या बहुत बड़ा ख़ज़ाना भी निकलेगा, जिस पर इंसान जान देने को तैयार होंगे। अभी जो हालात हैं, उसमें दरिया का जलस्तर ज़रूर कम हो रहा है, लेकिन सोने के ख़ज़ाने जैसी कोई चीज़ अब तक सामने नहीं आई है। इसलिए इसे सीधा “क़यामत की निशानी” कहना जल्दबाज़ी होगी।
साथ ही, इस्लामी उलमा ने भी कहा है कि हदीसों में आने वाली निशानियों के पूरा होने का वक़्त और तरीका अल्लाह बेहतर जानता है। हमारा काम सिर्फ़ ये है कि हम उस वक़्त के लिए तैयार रहें, ईमान और नेक आमाल के साथ ज़िंदगी गुज़ारें। ये ज़रूरी नहीं कि हर घटने वाले वाक़िये को क़यामत की निशानी बना दिया जाए।
सोशल मीडिया और अफ़वाहें: एहतियात ज़रूरी है
आज के दौर में सोशल मीडिया पर हर रोज़ नए वीडियो, दावे और अफ़वाहें फैलती हैं। लोग अक्सर बिना तस्दीक के उन्हें शेयर कर देते हैं। याद रखें कि इस्लाम में अफ़वाह फैलाने से मना किया गया है। अल्लाह तआला फ़रमाता है:
> “जब कोई फ़ासिक तुम्हारे पास कोई ख़बर लाए, तो उसकी तहक़ीक़ कर लिया करो…”
(क़ुरआन: सूरह हुजुरात, आयत 6)
इसलिए हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हर वायरल वीडियो पर यक़ीन करने से पहले सोचें, जांचें और फिर बात करें। अगर दजला या फुरात जैसी कोई बड़ी क़यामती निशानी सामने आ भी जाए, तो भी हमें डरने के बजाय तौबा, नमाज़ और नेक आमाल का रास्ता अपनाना चाहिए।
नतीजा:
फुरात दरिया का पानी कम ज़रूर हो रहा है, लेकिन “वो वाक़िया” जिसकी बात हदीसों में की गई है — यानी सोने का पहाड़ निकलना और इंसानों की लड़ाई — वो अभी तक नहीं हुआ। सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसकी सच्चाई पूरी तरह साफ़ नहीं है, और ना ही कोई ठोस सुबूत है कि वो इस्लामी भविष्यवाणी से मेल खाता है। हमें चाहिए कि अफ़वाहों से बचे, सही इल्म हासिल करें, और अपने अमल सुधारें। यही एक मुसलमान का असल रास्ता है।