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कृषि में बदलाव की कुंजी: गुणवत्तापूर्ण इनपुट से यूपी में उत्पादन 2-3 गुना बढ़ाने की क्षमता

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कृषि में बदलाव की कुंजी: गुणवत्तापूर्ण इनपुट से यूपी में उत्पादन 2-3 गुना बढ़ाने की क्षमता

धानुका एग्रीटेक ने बताया—राज्य की उपजाऊ भूमि का पूरा उपयोग हो तो कृषि अर्थव्यवस्था को मिलेगा बड़ा बल

लखनऊ: अग्रणी कृषि इनपुट कंपनी धानुका एग्रीटेक लिमिटेड ने उत्तर प्रदेश में कृषि की अप्रयुक्त क्षमता और उसकी उत्पादकता को नई ऊंचाई तक ले जाने में गुणवत्तापूर्ण कृषि इनपुट की अहमियत पर जोर दिया है। कंपनी ने कहा कि देश की सबसे उपजाऊ भूमि वाले इस राज्य में फसल उत्पादकता में भारी असमानता है, जिसे सही तकनीक और गुणवत्तापूर्ण साधनों के जरिए दूर किया जा सकता है।कंपनी ने उदाहरण देते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश में गन्ने की औसत उत्पादकता लगभग 84 टन प्रति हेक्टेयर है, जबकि कुछ खास इलाकों में यह 284 टन प्रति हेक्टेयर तक पहुंच जाती है। इसी तरह गेहूं की औसत पैदावार 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जबकि पंजाब में यह 67.4 क्विंटल है। धानुका का मानना है कि अगर उन्नत कृषि पद्धतियों और अच्छी गुणवत्ता के इनपुट का इस्तेमाल किया जाए, तो प्रदेश में गेहूं, गन्ना और अन्य फसलों का उत्पादन 2 से 3 गुना तक बढ़ सकता है।हाल ही में आयोजित सीआईआई शुगरटेक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में कृषि की अत्यधिक अप्रयुक्त क्षमता मौजूद है। उन्होंने कहा कि बेहतर तकनीकों और गुणवत्तापूर्ण इनपुट से राज्य में बदलावकारी परिणाम हासिल किए जा सकते हैं। योगी ने बताया कि प्रदेश ने 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जिसमें कृषि का योगदान 25 प्रतिशत होगा। ऐसे में उत्पादकता बढ़ाना समय की मांग है।धानुका एग्रीटेक लिमिटेड के चेयरमैन एमेरिटस डॉ. आर. जी. अग्रवाल ने राजस्थान के कृषि मंत्री किरोरी लाल मीना की सराहना करते हुए कहा कि हाल ही में हुई छापेमारी में रोजाना 2 लाख बैग नकली उर्वरक बरामद किए गए, जिन्हें औद्योगिक व्यर्थ से बनाकर किसानों को बेचा जा रहा था। इस सख्त कार्रवाई ने नकली कृषि उत्पादों के खतरे से निपटने का उदाहरण पेश किया है। डॉ. अग्रवाल ने कहा, “हम यूपी सरकार से आग्रह करते हैं कि प्रदेश में भी ऐसे मामलों पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो, ताकि किसानों को आर्थिक और मानसिक नुकसान से बचाया जा सके।”उन्होंने चेतावनी दी कि नकली उत्पाद फसल को खराब कर देते हैं, जिससे किसानों को भारी हानि होती है और कई बार यह उन्हें आत्महत्या जैसे कदम उठाने पर मजबूर कर देता है। आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 11,000 किसान आत्महत्या करते हैं।डॉ. अग्रवाल ने कहा कि देश के 14 करोड़ किसानों और 6.5 लाख गांवों तक अकेले कोई भी संगठन नहीं पहुंच सकता, इसलिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) जरूरी है। धानुका एग्रीटेक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ एमओयू के तहत बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चला रहा है। इसके तहत कृषि विज्ञान केंद्रों, अटारी, आईसीएआर संस्थानों और कृषि विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर किसानों को प्रशिक्षित किया जा रहा है कि वे गुणवत्तापूर्ण कृषि उत्पादों की पहचान कैसे करें।कंपनी किसानों को सलाह देती है कि किसी भी कृषि उत्पाद की खरीद पर सही बिल लें और पैकेजिंग पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन कर उसकी प्रमाणिकता की जांच करें। हाल ही में कंपनी ने कासगंज में मक्का और दलहन-विशेष कार्यक्रम आयोजित किया था। इसके अलावा कपास, सोयाबीन और धान की फसलों के लिए भी देश के अन्य राज्यों में ऐसे कार्यक्रम किए गए हैं।धानुका अपनी तैयार पोस्टर, वीडियो और अन्य सामग्री किसानों तक बड़े पैमाने पर पहुंचा रही है। साथ ही, पलवल स्थित अपने आर एंड डी सेंटर में किसानों के लिए एक हेल्पलाइन भी चला रही है, जहां फोन या व्हॉट्सऐप के जरिए फसल संबंधी समस्याओं के समाधान लिए जा सकते हैं। यदि फोन पर समस्या का समाधान न हो, तो कंपनी का ग्राउंड स्टाफ सीधे किसान के खेत पर पहुंचकर मदद करता है।कंपनी का मानना है कि यदि उत्तर प्रदेश में कृषि की इस अप्रयुक्त क्षमता का सही उपयोग हो, तो न सिर्फ राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि देश की कृषि जीडीपी भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।

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