
इंडिया Live: अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर कमान संभालते ही जिस तरह के तेवर दिखाए हैं उससे दुनिया सन्न है औरवह अमेरिका में बड़े बदलाव का संकेत हैं.
उनके ताबड़तोड़ कार्यकारी फैसले ने सबको चौंका दिया है. ट्रंप अपने मिशन में कितने कामयाब होते हैं, उसी से साबित होगा कि उन्होंने ग्रेट अमेरिका बनाने का इतिहास रचा या नहीं. या फिर उनका दूसरा कार्यकाल वाकई स्वर्ण काल है. लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसे राष्ट्रपति के तौर पर मिसाल कायम कर ली है, जिसके दोनों कार्यकाल की नीतियों और चुनावी रणनीतियों में काफी अंतर है
. साल 2017 से लेकर साल 2025 तक आते-आते ट्रंप में जबरदस्त मेकओवर देखने को मिला है. ये ऐसा मेकओवर है जिसने डेमोक्रेट्स जो बाइडेन का गेमओवर ही कर दिया. बहुमत हासिल करके ट्रंप ये बताने में फिलहाल कामयाब हो गए कि बाइडेन मिडिल ईस्ट के साथ-साथ अमेरिकी इकोनॉमी के लिए भी कथित तौर पर कितने विनाशक थे. डोनाल्ड ट्रंप केवल एक राजनीतिक शख्सियत नहीं हैं, वह बिजनेस करना भी बखूबी जानते हैं. और सफल बिजनेस के लिए वक्त की बयार को भांप लेना काफी अहम होता है. इसमें कोई दो राय नहीं कि ट्रंप ने सियासत भी बिजनेस वैल्यू के साथ ही की. 2017 के पहले कार्यकाल में जिन बातों की जरूरत थी, उसे उन्होंने अपनाया और 2025 तक आते-आते दुनिया जिस ओर जा रही है, उसमें अमेरिका की भूमिका कैसी होनी चाहिए- उसे देखते हुए उन्होंने अपने आप में बदलाव किया है. डोनाल्ड ट्रंप का मानना है बाइडेन के कार्यकाल मंर अमेरिका ने दुनिया में अपना प्रभाव खो दियाट्रंप ने इन देशों के मुस्लिम लोगों के ट्रेवल पर प्रतिबंध लगा दिया था. ट्रंप ने कहा था हम हर अप्रवासी की विचारधारा की पहचान करेंगे. जो अमेरिका और इजरायल से नफरत करेगा, उसके लिए यहां कोई जगह नहीं होगी. ट्रंप के इस फैसले की काफी आलोचना भी हुई. और जब अगला राष्ट्रपति चुनाव का समय आया तो ट्रंप का ये आदेश सत्ता में उनकी पार्टी की वापसी की बाधा बना. हालांकि जो बाइडेन ने सत्ता संभालते ही ट्रेवल बैन को खत्म कर दिया.
ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत को भी उनसे काफी मदद मिली थी. आतंकवादी हमले को लेकर अमेरिका ने पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाई थी. तब उन्होंने खुद को हिंदुओं का समर्थक घोषित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी दोस्ती दुनिया भर में मशहूर हुई. यह दोस्ती अब भी बनी हुई है. ट्रंप मोदी को अपना सबसे खास दोस्त मानते हैं
डोनाल्ड ट्रंप इसकी शुरुआत चुनावी अभियान के साथ ही शुरू कर दी थी. अमेरिका में युद्ध को लेकर बाइडेन का विरोध बढ़ने लगा था. मौके की नजाकत को देखते हुए ट्रंप ने अपनी नीति बदली. ट्रंप ने कभी अमेरिका में मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाई और यहां से बाहर निकालने की बात कही, उसी ट्रंप ने मिडिल ईस्ट के संघर्ष को समाप्त करने की बात कह दी. उन्होंने ना केवल रूस-यूक्रेन बल्कि इजरायल-हमास-हिज्बुल्लाह युद्ध में खूब-खराबे को भी खत्म करने की भी बात कही. इससे डेमोक्रेट्स से नाराज वोटर्स ने रिपब्लिकन की ओर रुख किया और अमेरिका में सत्ता बदल दी.
क्या बाइडेन को सत्ता से हटाना ही था मकसद?
जाहिर है डोनाल्ड ट्रंप का पहला मकसद जो बाइडेन को सत्ता से बाहर करना था. और यही वजह है कि उन्होंने अपनी पिछली गलतियों को नहीं दुहराने का फैसला किया. इसके लिए ट्रंप ने सबसे पहले डेमोक्रेट्स के वोट बैंक में संध लगाने की ठानी. यह आसान नहीं था. ट्रंप ने अमेरिकी मुस्लिमों से लेकर अश्वेत समुदाय को भी अपने पाले में लाने की कोशिश की. ट्रंप ने देखा कि अमेरिका में बहुत सारे लोग बाइडेन की युद्ध नीति से नाखुश हैं, लिहाजा उन्होंने इसे बड़ा मुद्दा बनाया. सोमवार को ट्रंप ने जिस तरह से अश्वेत समुदाय को समर्थन देने के लिए आभार व्यक्त किया, उससे उनकी रणनीति की कामयाबी को भी बखूबी समझा जा सकता है