
इतनी कल्याणकारी योजनाओं के बाद भी आखिर भारत गरीब क्यों?”
इंडिया Live: देश में गरीबी को खत्म करने के लिए अब तक सैकड़ों योजनाएं चलाई जा चुकी हैं – जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, जनधन
योजना, मुफ्त राशन योजना, मनरेगा, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत और कई अन्य। हर सरकार और नेता ने गरीबी हटाने के वादे किए हैं। लेकिन इसके बावजूद आज भी करोड़ों लोग ऐसे हैं जो दो वक्त की रोटी, अच्छा इलाज और पढ़ाई जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
तो सवाल ये उठता है कि जब इतनी सारी योजनाएं चल रही हैं, तो गरीबी क्यों नहीं जा रही?
असल समस्या ये है कि योजनाएं तो बनती हैं,
लेकिन उनका फायदा उन तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाता, जिनके लिए वे बनाई जाती हैं। कई बार देखा गया है कि योजना का पैसा बीच में ही रुक जाता है
या फिर ऐसे लोगों तक पहुंच जाता है जो उसके असली हकदार नहीं होते। बहुत से मामलों में भ्रष्टाचार, लापरवाही और सिस्टम की खामियों के कारण गरीबों तक सही मदद नहीं पहुंचती।
इसके अलावा, एक और बड़ी वजह है जानकारी की कमी। बहुत से गरीब लोगों को ये पता ही नहीं होता कि उनके लिए कौन-कौन सी सरकारी योजनाएं उपलब्ध हैं,
और उन योजनाओं का लाभ पाने के लिए क्या करना होता है। आवेदन कैसे करें, कहां जाएं, किन दस्तावेजों की जरूरत होती है — इन सब बातों की जानकारी न होने के कारण भी वे योजनाओं से वंचित रह जाते हैं।
शिक्षा की कमी भी गरीबी की एक जड़ है। अगर हर गरीब परिवार में एक बच्चा भी सही तरीके से पढ़-लिख जाए, तो पूरा परिवार गरीबी से बाहर आ सकता है। लेकिन देश के कई इलाकों में अब भी स्कूल या तो हैं नहीं, या फिर वहाँ शिक्षकों की भारी कमी है।
एक और बात जो समझने लायक है वो ये कि अगर कोई सरकारी योजना 100 रुपये की है, तो ज़रूरी है कि उसका पूरा 100 रुपये उसी व्यक्ति तक पहुंचे, जिसके लिए वो बनी है। लेकिन ज़मीनी हकीकत ये है कि अक्सर सिर्फ 30-40 रुपये ही असली लाभार्थी तक पहुंच पाते हैं। बाकी रकम प्रक्रिया में ही कहीं न कहीं अटक जाती है या ग़लत हाथों में चली जाती है।
अगर देश में योजनाओं को पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू किया जाए, और लोगों को उनके अधिकारों और योजनाओं की सही जानकारी दी जाए, तो गरीबी को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
गरीबों के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है – जानकारी और सिस्टम की ईमानदारी। अगर ये दोनों चीजें एक साथ मिल जाएं, तो गरीबी मिटाना कोई मुश्किल काम नहीं।