
प्रयागराज में भयानक बाढ़ की तबाही का दर्दनाक मंजर।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में गंगा और यमुना नदियों में जलस्तर लगातार बढ़ने से हालात बेहद गंभीर हो गए हैं। शहर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है जिससे हजारों लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
गंगा और यमुना का संगम क्षेत्र पूरी तरह से पानी में डूब गया है। अरैल, दारागंज, छतनाग, सलोरी, करैली, झूंसी, राजापुर, बेली गांव जैसे निचले इलाके सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। कई जगहों पर लोग छतों पर शरण लिए बैठे हैं, और प्रशासन की नावें व राहत दल उन्हें निकालने में जुटे हैं।
बाढ़ का पानी घरों, दुकानों और धार्मिक स्थलों तक पहुंच चुका है। लोगों का खाना-पीना, बिजली, और संचार व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो चुकी है। जिनके पास साधन हैं वे रिश्तेदारों के यहां पलायन कर रहे हैं, लेकिन गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग बेहद कठिन स्थिति में हैं।
प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में NDRF और SDRF की टीमें तैनात की हैं। राहत शिविरों में लोगों को खाना, दवाइयां और पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। बाढ़ चौकियों से लगातार निगरानी की जा रही है, लेकिन तेजी से बढ़ते जलस्तर ने सभी को चिंता में डाल दिया है।
मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक प्रयागराज और आसपास के जिलों में और बारिश की संभावना जताई है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। यमुना नदी का जलस्तर खतरनाक रूप से ऊपर जा रहा है, जो संगम में गंगा के साथ मिलकर डबल असर पैदा कर रहा है।
रक्षाबंधन जैसे त्योहार पर भी असर साफ देखा जा सकता है। बहनें भाइयों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, और कई क्षेत्रों में सड़कें पूरी तरह बंद हो गई हैं। रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर भी यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदियों के किनारे न जाएं अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन की सलाह का पालन करें। साथ ही बाढ़ प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों से जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है।
बाढ़ से हुई तबाही ने प्रयागराज को झकझोर कर रख दिया है। हालात पर काबू पाने के लिए प्रशासन सक्रिय है, लेकिन प्राकृतिक आपदा के आगे तैयारियां नाकाफी साबित हो रही हैं। अब सबकी नजरें आसमान की ओर हैं – कि कब बारिश थमे और लोग राहत की सांस लें।