नई दिल्ली: भारतीय इलाकों को अपना बताने वाली ओली सरकार अब खुद आंतरिक विवादों में फंसती दिख रही है। कम्युनिस्ट पार्टी के अंदर ही बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं। पार्टी के नेताओं ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी है। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ और पीएम ओली के बीच जमकर वार- पलटवार शुरू हो गया है। पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ जिन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री ओली हर मोर्चे पर विफल रहे हैं। इसलिए उन्हें पद स्व इस्तीफा देना चाहिए। ओली के इस्तीफा नहीं देने पर प्रचंड ने पार्टी विभाजन तक की धमकी दे डाली है।
उन्होंने कहा कि ओली के साथ पार्टी एकता पर उन्हें पछतावा हो रहा है और यह एकता उनकी सबसे बड़ी राजनीतिक भूल थी। प्रचंड से समर्थन में पार्टी के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों का भी आ गए है। इनमें माधव नेपाल और झलनाथ खनाल भी ओली के इस्तीफा के पक्ष में हैं। इसी के साथ ओली नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी के सचिवालय और स्थाई समिति दोनों में अल्पमत में हैं। अब पीएम ओली अपना पद बचाने के लिए कैबिनेट फेरबदल की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं पीएम ने कहा कि उनकी पार्टी अच्छा काम कर रही है लेकिन पार्टी विरोधी खेमे के ने नेताओं का रवैया विपक्ष जैसा है। उन्होंने कहा कि इन नेताओं की वजह से सरकार के अच्छे काम जनता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार पीएम केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। प्रचंड को पार्टी के भीतर खूब समर्थन भी मिल रहा है। पार्टी के दो पूर्व पीएम और कई सांसदों ने ओली के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। वहीं नेपाल की जनता में कोरोना वायरस की त्रासदी को लेकर ओली सरकार के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है। दहल ने यह भी कहा कि अगर सरकार समाजवाद हासिल करने के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाती है। तो पार्टी को अगले चुनावों में असफलता देखनी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार और पार्टी दोनों संकट में हैं।वहीं नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस भी हमलावर हो गई है। पार्टी के सांसदों ने प्रतिनिधि सभा में एक संकल्प प्रस्ताव दायर कर सरकार से चीन की कब्जा की गई नेपाली भूमि वापस करने और कब्जाई गई जमीन की स्थिति के बारे में संसद को बताने के लिए कहा है।