लखनऊ: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के चलते देश भर में लॉकडाउन लागू है। इसी क्रम में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की एक तस्वीर शेयर की। एसपी सुप्रीमो ने कहा, कितना मुश्किल होगा उसके आगे का सफ़र… जो मजबूर है सड़कों पर पैदा होने के लिए… कोई है जो सुन रहा है?
अखिलेश यादव ने अपने दूसरे ट्वीट में कहते हैं कि 2022 तक सबको घर देने का वादा करने वाले सत्ताधारी आज बेघर भटकते भूखे-प्यासे लोगों को एक वक़्त की रोटी तक नहीं दे पा रहे हैं। इतिहास गवाह रहा है, सड़कों पर उतरी जनता ने सर्वशक्तिमान होने का दंभ-भ्रम रखने वाले एक-से-एक बड़ों को पैदल कर दिया है।
इससे पहले शनिवार को भी अखिलेश ने ट्वीट किया था, ‘उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक अध्यादेश से मजदूरों को शोषण से बचाने वाले श्रम-कानून के अधिकांश प्रावधानों को तीन साल के लिए स्थगित कर दिया है। यह बेहद आपत्तिजनक और अमानवीय है। श्रमिकों को संरक्षण न दे पाने वाली गरीब विरोधी बीजेपी सरकार को तुरंत त्यागपत्र दे देना चाहिए।
बता दें कि कोरोना के प्रकोप को देखते हुए उत्तर प्रदेश और देश में तमाम कारखाने और उद्योग बंद पड़े हुए हैं। रोजी-रोटी और रोजगार के संकट के चलते लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर देश भर से अपने गृह राज्य यूपी लौट रहे हैं। इसी क्रम में यह मसहूस किया गया है,कि कोरोना का संकट कब तक रहेगा कुछ कहा नहीं जा सकता है। इसलिए उद्योग, कारखानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के लिए 38 श्रम नियमों में 1000 दिवस यानी तीन साल तक के लिए अस्थाई छूट दी गई है।